गुड हैबिट्स यानी अच्छी आदतें। इस कॉलम में हर हफ्ते हम किसी ऐसी आदत के बारे में बात करते हैं जो दिखने में मामूली लगती हैं, लेकिन इसका असर जिंदगी बदल सकता है। ये आदतें न कोई महंगा कोर्स खरीदने से मिलती हैं, न किसी जादुई फॉर्मूले में मिलती है। ये खुद को हर दिन थोड़ा और बेहतर बनाने की कोशिश से आती हैं। सेल्फ रिव्यू की आदत ज्यादातर लोग रात होने पर अपने दिन के बारे में कुछ भी सोचे बिना यूं ही सो जाते हैं। वे नहीं सोचते हैं कि आज हमने क्या किया? क्या बेहतर किया जा सकता था? क्या करने से बच सकते थे? अगर हर दिन रात में सोने से पहले बस 5 मिनट निकालें और खुद से कुछ सवाल पूछें तो ये छोटा सा वक्त आपके पूरे जीवन को री-डिजाइन कर सकता है। जिन लोगों को सेल्फ रिव्यू की आदत होती है, वे दूसरों की तुलना में भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत होते हैं। उनके निर्णय बेहतर होते हैं और वे अपनी आदतों पर नियंत्रण रखने में सक्षम होते हैं। क्यों जरूरी है सेल्फ रिव्यू? हर गुजरा दिन हमारे अनुभव की तरह है। अब अगर हम उन अनुभवों से कुछ सीख नहीं पाते हैं तो हम रोज एक जैसी गलतियां दोहराते रहते हैं। सेल्फ रिव्यू का मतलब है अपने आप को समझना, अपनी सोच, अपनी आदतों और अपने फैसलों पर ध्यान देना। जो लोग आत्म-चिंतन करते हैं, वे भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं। उनके फैसले बेहतर होते हैं और वे अपनी आदतों को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाते हैं। क्यों जरूरी है सेल्फ रिव्यू? हर बीता दिन कल बन जाता है, लेकिन अगर कल से हमने कुछ सीखा नहीं है तो हम हर दिन उसी लूप में फंसते रहेंगे। हमारा हर दिन बीते दिन जैसा ही गुजरेगा। इसलिए सेल्फ रिव्यू की जरूरत होती है। यह हमारे मन का आईना है। इसकी मदद से हम खुद को अधिक गहराई से समझ पाते हैं। अपनी गलतियों, अच्छाइयों और सोच को ज्यादा बेहतर समझ पाते हैं। महान लोगों ने दी सेल्फ रिव्यू की सलाह सेल्फ रिव्यू कोई बहुत कठिन प्रक्रिया नहीं है, बस सोने से पहले कुछ मिनट अपने लिए निकालने हैं। इसमें बस इस बात का क्या ख्याल रखना है कि दिन का रिव्यू नहीं करना है, स्वयं का रिव्यू करना है। रिव्यू के साथ खुद में सुधार की गुंजाइश भी देखनी है। दुनिया के सबसे महान लोग भी सेल्फ रिव्यू करते रहे हैं। भारत के महान समाज सुधार विनोबा भावे और अमेरिकी लेखक एलिसा रोमिओ भी इसकी सलाह देते हैं। हर क्षेत्र के महारथी करते हैं सेल्फ रिव्यू भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एप्पल के CEO टिम कुक, भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली, हॉलीवुड एक्ट्रेस और यूएन की राजदूत एम्मा वॉटसन ये सभी सेल्फ रिव्यू को अपनी सफलता का एक अहम हिस्सा मानते हैं। विराट कोहली ने एक इंटरव्यू में कहा था, “मैच के बाद मैं खुद से बात करता हूं कि मैं क्या बेहतर कर सकता था?” सेल्फ रिव्यू कैसे करें? सेल्फ रिव्यू यानी दिनभर की अपनी सोच, भावनाओं और कामों को थोड़ा रुककर देखना-समझना। इसके लिए आपको घंटों नहीं, बस रोज सोने से पहले 5-10 मिनट चाहिए और तरीका बिल्कुल आसान है: 1. शांत कोना ढूंढ़ें आमतौर पर सोते समय शांति होती है। अगर आप इसे शाम के समय ही आजमाना चाहते हैं तो एक ऐसी जगह बैठें जहां कोई आपको टोके नहीं। मोबाइल, टीवी, नोटिफिकेशन सब बंद कर दें। जितनी शांति होगी और एकांत होगा तो यह काम उतना ही आसान होगा। 2. खुद से सवाल पूछें सेल्फ रिव्यू का सबसे अच्छा तरीका ये है कि खुद से कुछ सवाल पूछें और ईमानदारी से उनके जवाब दें। ग्राफिक में देखिए- 3. जवाब सोचें या लिख लें अगर डायरी लिखने की आदत है तो यह काम और भी आसान हो सकता है। अगर नहीं लिखते हैं तो कोई बात नहीं, मन में ही जवाब सोच लें। दिल से बात कीजिए, दिखावे के लिए कुछ भी नहीं करना है। 4. खुद को जज न करें अगर गलती हुई तो अचानक परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम सब इंसान हैं, मशीन नहीं हैं। गलतियां तो सबसे होती हैं। सेल्फ रिव्यू का मकसद है खुद को समझना, न कि खुद को कोसना। पूरी दुनिया से इतनी रमी बरतते हैं तो अपने साथ भी थोड़ी नरमी से पेश आइए। 5. धीरे-धीरे सुधार लाएं पूरी जिंदगी अचानक से एक रात में नहीं बदलती है। इसके लिए हर दिन एक छोटा सुधार काफी है। बस रोज 1% बेहतर बनने की कोशिश करें। धीरे-धीरे सबकुछ बदल जाएगा। न करें ये गलतियां सेल्फ रिव्यू का मकसद खुद को बेहतर बनाना है, न कि खुद को परखना। कई लोग इसे करते हुए जरूरत से ज्यादा सख्त हो जाते हैं, खुद की तुलना दूसरों से करने लगते हैं या हर बात में स्वयं की गलती ढूंढ़ते रहते हैं। ऐसा करने से सेल्फ रिव्यू जीवन में मदद करने की बजाय बोझ बन जाता है। सेल्फ रिव्यू को न बनने दें ओवरथिंकिंग सेल्फ रिव्यू और ओवरथिंकिंग में महीन फर्क होता है। कई बार लोग सोचते हैं कि वे सेल्फ रिव्यू कर रहे हैं, जबकि असल में वे एक ही तरह की बात को बार-बार दोहराकर खुद को थका रहे होते हैं। सेल्फ रिव्यू आपको हल की तरफ ले जाता है, जबकि ओवरथिंकिंग उलझनों में फंसा देता है। नीचे दिए गए ग्राफिक से इस फर्क को समझिए और ध्यान रखिए कि कहीं आपका सेल्फ रिव्यू, ओवरथिंकिंग न बन जाए। हमेशा ध्यान रखें ये बातें: ……………….. ये आलेख भी पढ़िए गुड हैबिट्स- सबकुछ बिखर रहा तो फॉलो करें ये आदत:जानें 5 आसान नियम, जिनसे जीवन होता व्यवस्थित,बचाएं वक्त और बढ़ाएं प्रोडक्टिविटी कई बार हमें लगता है कि व्यवस्था सिर्फ सफाई से जुड़ी चीज है, लेकिन सच ये है कि व्यवस्था हमारी सोच को स्पष्ट करती है और जब सोच स्पष्ट हो तो काम और जीवन दोनों बेहतर बनते हैं। पूरा आलेख पढ़िए…
वुमन | दैनिक भास्कर