हमने परिवहन में इलेक्ट्रिक कारों के विचार को स्वीकार कर लिया है। हमने पेसमेकर के विचार को भी अपना लिया है, जिसे दिल की धड़कनों को स्थिर रखने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन अब अगले स्तर पर जाने के लिए तैयार हो जाइए। आने वाले समय में इलेक्ट्रिक विमान भी होंगे और वही बिजली रुमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से लेकर ग्लियोब्लास्टोमा जैसे मुश्किल से इलाज होने वाले मस्तिष्क कैंसर और पैंक्रियाटिक कैंसर को ठीक करने के लिए भी तैयार हो रही है! जी हां, न केवल बीमारियों के संभावित उपचार के रूप में, बल्कि नई ग्रीन-टेक्नोलॉजी को अपनाकर 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के अपने जलवायु-लक्ष्य तक पहुंचने में एविएशन क्षेत्र की मदद करने के लिए भी बिजली तैयार हो रही है। टोरंटो से 135 किमी दूर ओंटारियो के लिंडसे में एक छोटे-से हवाई अड्डे पर आपका स्वागत है। यहां होराइजन एयरक्राफ्ट लिमिटेड नामक कंपनी चुपचाप दुनिया का पहला हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग विमान बना रही है। इसे ‘ईवीटीओएल विमान’ के नाम से जाना जाता है! खोज और बचाव कार्यों, टाइट लैंडिंग्स, छोटे समूहों और क्षेत्रीय उड़ानों के लिए डिजाइन किए गए होराइजन का सात सीटर विमान पायलट सहित किसी हेलीकॉप्टर की तरह टेकऑफ और लैंड करता है, लेकिन वह 450 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से यात्रा करने में सक्षम है। कंपनी के सीईओ ब्रैंडन रॉबिन्सन को भरोसा है कि अगले 24 महीनों में उड़ान परीक्षण शुरू करने के लिए एक फुल-स्केल प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा। यदि आप ‘ईवीटीओएल विमान’ की मदद से दो घंटे की यात्रा करके अमेरिका के सिनसिनाटी विश्वविद्यालय जाते हैं, जो कि वहां से 800 किमी दूर है और पोर्ट्समाउथ, जो कि 900 किमी दूर है, तो आप नोवोक्योर नामक ऑन्कोलॉजी कंपनी के मुख्यालय में पहुंच जाएंगे। वे संयुक्त रूप से पता लगा रहे हैं कि डिवाइस के आकार को कैसे छोटा किया जाए और इलेक्ट्रिक फील्ड्स और पल्सेस को ऐसे कैसे उपयोग किया जाए कि इससे कैंसर के इलाज में मदद ली जा सके। उन्होंने पहले से ही ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जो ट्यूमर के विकास को धीमा करने के लिए शरीर के सेल-डिवीजन में इलेक्ट्रकिल फोर्सेस को बाधित करती है। शरीर में विद्युत-घटकों के होने का यह नया विचार हमारे भविष्य के इलाज के तरीकों के बारे में हमारी सोच को बदल रहा है। नोवोक्योर के सीईओ एशले कॉर्डोवा का तो यही मानना है। 62 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर टिम नुगेंट जैसे ग्लियोब्लास्टोमा के रोगी पहले ही अपने सिर पर इलेक्ट्रोड्स युक्त पैचेस पहन रहे हैं, जो एक बैटरी पैक से इलेक्ट्रोड्स डिलीवर करते हैं। इसके पीछे यह सोच है कि सेल-डिवीजन को बाधित करने के लिए कम तीव्रता वाले इलेक्ट्रिकल फील्ड्स का उपयोग किया जाए। इनमें से कुछ निष्कर्ष अभी मानव परीक्षण के चरण में हैं। यह बताता है कि भविष्य में नई तकनीकें इस बात का दायरा बढ़ाने जा रहे हैं कि कैसे बिजली हमारे दैनिक जीवन में और महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हो सकता है बिजली कैंसर का इलाज करने में कामयाब हो जाए। आने वाले वर्षों में हमारे जीवन का हिस्सा बन सकने वाली ये वैश्विक गतिविधियां एक प्रमुख बदलाव की ओर इशारा करती हैं। कृषि उत्पादों और रसोई में पकाए जाने वाले भोजन के उत्पादन के लिए हम जिन मशीनों का उपयोग करते हैं, उनमें से अधिकांश या तो बिजली से चल रही हैं या उस ओर बढ़ रही हैं। धरती पर गतिशीलता- सड़क और रेल- भी अब बिजली की ओर शिफ्ट कर रही है। यदि विमानन और चिकित्सा क्षेत्र भी इसी मार्ग को अपनाते हैं, तो हमारा ग्रह बिजली पर निर्भर होने जा रहा है। ऐसे में जो पहली चीज आप और मैं कर सकते हैं, वह है अपने छोटे-मोटे कामों, उपकरणों, कारों को चलाने के लिए खुद की बिजली का उत्पादन करना। फंडा यह है कि अगर आपके पास टैरेस है तो उसे सूर्य की रोशनी की मदद से पॉवर-फैक्टरी में बदलने के बारे में विचार करने लगें ताकि पॉवर-इंडिपेंडेंट बन सकें। भविष्य की पीढ़ियों के लिए यही सबसे समझदारी भरा निर्णय होगा।
ओपिनियन | दैनिक भास्कर