चेन्नई से 300 किलोमीटर दूर-दराज के एक गांव में एक महिला प्रसव पीड़ा में थीं। उन्हें मदद की जरूरत थी। बच्चा जन्म लेने वाला था। लेकिन उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए सिर्फ सात किमी की दूरी तय करने में कई घंटे लग जाते। लेकिन यह जोखिम भरा था क्योंकि रास्ते उबड़-खाबड़ थे, कावेरी नदी उफान पर थी और गर्भवती महिला के साथ तैरकर पार करना संभव नहीं था। ऐसे में सबसे आसान और तेज विकल्प था कि दाई को बुलाया जाए। वह दाई उन सैकड़ों पारंपरिक दाइयों में से एक थी जो आसपास के कई गांवों में प्रसव कराती थीं। दाई पहुंची और उन्होंने सबसे पहले महिला से कहा, “धैर्य रखो, हम मिलकर बच्चे को जन्म देंगे, बस हम पर भरोसा रखो।” इन शब्दों ने महिला को आत्मविश्वास दिया और उन्हें थोड़ा सुकून मिला। गांव की सभी महिलाएं उस घर के सामने इकट्ठा हो गईं। पुरुषों को थोड़ी दूरी पर खड़ा रहने को कहा गया ताकि दाई को कुछ जरूरत हो तो वे बाजार से ला सकें। और अचानक सभी महिलाएं खुशी से झूम उठीं, जैसे क्रिकेट स्टेडियम में छक्का लगने पर होता है। यह खुशी नवजात के रोने की आवाज सुनकर थी। गली के कोने पर खड़े पुरुषों ने भी राहत की सांस ली। कुछ ने आसमान की ओर देखकर भगवान का धन्यवाद किया, तो कुछ ने अपनी गर्दन में लटके लॉकेट को उतारकर सम्मानपूर्वक अपनी आंखों पर लगाया। यह घटना 1940 की है और इसी तरह मेरी मां का जन्म हुआ था। एक दशक बाद जब उनके सबसे छोटे भाई का जन्म हुआ, तो यह दृश्य दोबारा नहीं देखा गया, क्योंकि तब तक वहां पक्की सड़क बन चुकी थी और लोग बैलगाड़ी में एक घंटे से भी कम समय में गर्भवती महिलाओं को पास के अस्पताल ले जाने लगे थे। हाल ही में जब मैं उस गांव में गया, तो देखा कि अब वही दूरी, आपस में जोड़ती दो लेन की सड़कों के कारण मात्र 15 मिनट में तय हो जाती है। यह पुरानी यादें इस गुरुवार को तब ताजा हो गईं, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के साथ नाशिक के इगतपुरी में हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग के अंतिम चरण का उद्घाटन किया। 701 किमी लंबे नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे के अंतिम 76 किमी खंड के उद्घाटन के साथ ही महायुति द्वारा राज्य के विकास के लिए किया गया वादा पूरा हुआ। यह एक्सप्रेसवे अब राज्य के बंदरगाह आधारित विकास योजना के तहत 24 जिलों को सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से बंदरगाहों से जोड़ता है। अपने भाषण में फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार एक और वादा पूरा करेगी, जो है एक्सेस-कंट्रोल्ड शक्तिपीठ हाईवे का निर्माण। महाराष्ट्र के विभिन्न कोनों में चार शक्तिपीठ हैं। इनके जुड़ने से न केवल तीर्थयात्रियों को लाभ होगा, बल्कि इससे मराठवाड़ा के आर्थिक विकास को बल मिलेगा, जिसकी अमेरिका जैसे विकसित देशों के अंतरराज्यीय हाईवे सिस्टम से तुलना की जा सकती है। इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिका की सड़कें दुनिया की सबसे बेहतरीन सड़कों में गिनी जाती हैं। खासकर इंटरस्टेट हाईवे सिस्टम देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। ये सड़कें न केवल परिवहन को सुगम बनाती हैं, बल्कि लॉजिस्टिक लागत को भी कम करती हैं। इससे व्यापारियों को व्यापक बाजार तक पहुंच मिलती है। यह नेटवर्क, उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ता है, सुरक्षा में सुधार करता है और आर्थिक उत्पादकता को बढ़ाता है। इससे जीवन स्तर में भी सुधार होता है। सड़कों के निर्माण से स्वास्थ्य सेवाएं भी अंतिम व्यक्ति तक पहुंचती हैं, जो मानव जाति के लिए एक बड़ा लाभ है। इसके अलावा, सड़क नेटवर्क पर्यटन को बढ़ावा देता है, जिससे होटल, रेस्टोरेंट और मनोरंजन जैसे संबंधित उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। फंडा यह है कि अच्छी सड़कों का निर्माण केवल कनेक्टिविटी नहीं बढ़ाता, बल्कि जीवन को भी समृद्ध बनाता है। इससे न केवल व्यक्ति, बल्कि पूरा देश भी समृद्ध होता है, क्योंकि इनसे व्यापार और वाणिज्य में उछाल आता है।
ओपिनियन | दैनिक भास्कर